सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है
आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ? आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं !
एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है काला नमक और तीसरा सेंधा नमक (rock slat)
सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या
सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है।जिसका मतलब है ‘सिंध या
सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है,वहाँ से ये नमक आता है मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है ।यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे ,क्यूंकि ये प्रकति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता।
हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो( कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ। अब समझिए खेल क्या था ,खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ ,आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है !
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बेन कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों उनकी सरकार ने कहा हमने मे आयोडीन युक्त नमक खिलाया (1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए,जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया।उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है ।! क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline ) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है ! और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ये नमक शरीर में पूरी तरह से घुलनशील है और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ? सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है। इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis ) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है । अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है , दूसरा होता है industrial iodine ।ये बहुत ही खतरनाक है तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल के पूरे देश को बेच रही है जिससे बहुत सी गंभीर बीमारियां हम लोगो को हो रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है ।
आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है और ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !
पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।