गोल चेहरा, उससे भी गोल आंखें, पोल्का डॉट्स वाली फ्रॉक, ऊपर उठी हुई चुटिया और उससे बंधा मैचिंग रिबन. बिना नाक वाली इस बच्ची के पास हर खबर पर एक मजेदार कमेंट है. जो इसकी बात सुनता है, होंठों पर मुस्कान तैर जाती है.
ये है ‘अमूल गर्ल’, जिसके 50 साल पूरे हो गए हैं. हर खबर पर बरसों से ‘वर्डप्ले’ वाले जोक्स मारने वाली ‘अमूल गर्ल’ की कहानी बड़ी दिलचस्प है.
कैसे जन्म हुआ ‘अमूल गर्ल’ का
ये साल 1966 था. अमूल बटर मार्केट में आए लगभग 10 साल हो चुके थे. उस समय डेयरी प्रॉडक्ट्स बेचने वाली कंपनी ‘पॉल्सन’ अपनी ‘पॉल्सन गर्ल’ के लिए फेमस थी. इसका जवाब देने के लिए अमूल ने ऐड एजेंसी ASP (ऐडवरटाइजिंग ऐंड सेल्स प्रमोशन) को हायर किया. ASP के मालिक और इसके आर्ट डायरेक्टर यूस्टस फर्नांडिस अमूल के लिए एक ऐसा ‘मस्कट’ तैयार करना चाहते थे, जो भारत की हर हाउसवाइफ को पसंद आए.
अमूल के नाम से अपने डेयरी प्रॉडक्ट बेचने वाले GCMMF के चेयरमैन और देश में ‘श्वेत क्रांति’ लाने वाले डॉ. वर्गीस कुरियन ने सुझाव दिया कि कुछ ऐसा तैयार किया जाए, जिसे बनाना आसान हो और लोगों को याद रहे. फिर सिल्वेस्टर डा कूना के दिमाग में ‘अमूल गर्ल’ का आइडिया आया, जिसे यूस्टस फर्नांडिस ने कागज पर उतारा. और इस तरह अमूल गर्ल का ‘मस्कट’ तैयार हुआ.
मस्कट से ऐड कैंपेन तक का सफर
बाजार में ‘अमूल गर्ल’ के पहले गवाह बने मुंबई के लोग. वहां बसों पर इसकी पेटिंग और सड़कों पर होर्डिंग लगाई गईं. सबसे दिलचस्प बात ये कि ये कैंपेन डिजाइन करने वाली टीम में सिर्फ तीन लोग थे. सिल्वेस्टर डा कूना, यूस्टेस फर्नांडिस और उषा कतरक. 1969 में सिल्वेस्टर ASP के अकेले मालिक बन गए और कंपनी का नाम बदलकर ‘डा कूना कम्युनिकेशंस’ कर दिया गया. इसके बाद से अमूल गर्ल ने नेशनल और पॉलिटिकल चीजों पर बोलना शुरू किया और लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया.
अमूल की टैगलाइन ‘अटर्ली बटर्ली अमूल’ की कहानी भी रोचक है. इससे पहले टैगलाइन ‘प्योरली द बेस्ट’ थी, लेकिन जब सिल्वेस्टर अपनी वाइफ निशा से इस बारे में बात कर रहे थे, तो निशा ने कहा कि नई टैगलाइन ‘अटर्ली अमूल’ रखनी चाहिए. तब सिल्वेस्टर ने इसमें ‘बटर्ली’ जोड़कर इसे ‘अटर्ली बटर्ली अमूल’ कर दिया.
अमूल गर्ल का पहला ऐड मार्च, 1966 में आया था, जिसका नाम था ‘थ्रूब्रेड’. हालांकि, इसमें अमूल गर्ल वैसी नहीं थी, जैसी अब दिखती है. अमूल गर्ल की पहली होर्डिंग में भी उसके कपड़े अब से काफी अलग थे, जिसमें उसे प्रेयर करते दिखाया गया था.
महीने में एक ऐड से हफ्ते में पांच ऐड
90 के दशक की शुरुआत में ही कंपनी सिल्वेस्टर के बेटे राहुल डा कूना के हाथों में आ गई और वो अमूल के ऐड का काम देखने लगे. राहुल बताते हैं कि उनके पापा ने उन्हें सिखाया, ‘विवादों में मत पड़ो और हर चीज को वैसे ही कहो, जैसे वो कही जानी चाहिए.’ शुरुआती दिनों में डा कूना कम्युनिकेशन हर महीने एक अमूल ऐड बनाती थी. 70 के दशक में उन्होंने हर 15 दिनों में एक ऐड बनाना शुरू किया और ऐसा 80 के दशक तक चलता रहा. 90 के दशक में अमूल ने हर हफ्ते एक ऐड बनाना शुरू किया और अब ये कंपनी हर हफ्ते चार से पांच ऐड बनाती है.
लोगों को खूब पसंद आए अमूल ऐड
अमूल ने देश के पॉलिटिकल-सोशल मसलों से लेकर खेल, सिनेमा और इंटरनेशनल मुद्दों पर ऐड बनाए हैं, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. अमूल के ऐड की खास बात ये है कि इनका स्टैंडर्स 50 सालों में कभी बदला नहीं. ये जितनी बेबाकी और क्रिएटिव से तब ऐड बनाते थे, उसी तरह आज भी बनाते हैं. पिछले कुछ सालों से लोग ह्यूमर पर ऑफेंड होते दिख रहे हैं और अमूल भी इसका शिकार हुआ, लेकिन इसके ऐड ह्यूमर में लॉजिक खोजने वालों को भी निराश नहीं करते. उनके अपने पैमाने हैं, जिनके साथ उन्होंने कभी समझौता नहीं किया.
इन ऐड पर हुआ बवाल
अमूल ने गणेश चतुर्थी पर एक ऐड बनाया था, जिसमें ‘अमूल गर्ल’ गणेश से कह रही थी, ‘गणपति बप्पा MORE घा’ यानी गणपति बप्पा और खाइए. इस पर शिवसेना ऑफेंड हो गई थी और उसने अमूल के ऑफिस पर पथराव की धमकी दे डाली थी.
जिस समय जगमोहन डालमिया करप्शन के आरोपों में घिरे थे, तब अमूल ने ऐड बनाया था, ‘डालमिया में कुछ काला है?’ इससे नाराज डालमिया ने 500 करोड़ की मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दी, लेकिन जब कोर्ट ने उनसे इसका 10 परसेंट जमा करने के लिए कहा, तो वो बात टाल गए.
IPL के दौरान अमूल गर्ल को छोटे कपड़ों चीयरलीडर्स के तौर पर दिखाने के लिए अमूल की काफी आलोचना हुई थी. सत्यम कंप्यूटर्स के घोटाले के बाद अमूल ने एक ऐड बनाया था, ‘सत्यम शिवम स्कैंडलम’. इससे नाराज हुई कंपनी ने अमूल को धमकी दी थी कि उसके सारे कर्मचारी अमूल बटर खाना बंद कर देंगे.
अब भी सिर्फ तीन लोगों की ही टीम है
अमूल को दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला ऐड कैंपेन माना जाता है. इतने सालों तक ऐड कैंपेन चलाना और उसकी क्वालिटी बरकरार रखना वाकई मुश्किल काम है. रोचक बात ये है कि इतना सारा काम अब भी सिर्फ तीन लोगों के कंधे पर है. डा कूना कम्युनिकेशन के मालिक राहुल डा कूना के अलावा टीम में एक कॉपी राइटर हैं मनीष जावेरी, जो टीम से 22 साल से जुड़े हैं और एक इलस्ट्रेटर हैं जयंत राने, जो पिछले 30 साल से अमूल ऐड के इलस्ट्रेशन बना रहे हैं.
जावेरी बताते हैं कि 1995 में उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव, सोनिया गांधी और वीपी सिंह के ट्राइंगल पर एक ऐड बनाया था, जिसमें उन्होंने लिखा था, ‘पार्टी पत्नी या वो’. उनकी ये लाइन हिंदी सिनेमा की मशहूर फिल्म ‘पति पत्नी और वो’ की याद दिलाती है. जावेरी बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने अमूल के ऐड में ऐसे शब्द लिखने शुरू किए, जो लोगों के बीच काफी फेमस थे और उनमें काफी रीजनल पुट होता है. वक्त के साथ-साथ उनके ऐड की ये लैंग्वेज और बेहतर होती गई.
ऐड बनाने वालों के कंपनी के साथ रिश्ते
अमूल अपने टोटल टर्नओवर का 1% मार्केटिंग पर खर्च करता है. GCMMF के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी बताते हैं कि उन्होंने कभी अपनी ऐड एजेंसी नहीं बदली और वो ऐड बनाने वाटी टीम को पूरी आजादी देते हैं. सोढ़ी के मुताबिक कई बार तो ऐड बनने के बाद वो उन्हें देखते भी नहीं और ऐड सीधे मार्केट में चले जाते हैं. ऐड एजेंसी और अमूल के बीच बहुत ही भरोसे का रिश्ता है, जिसका दोनों सम्मान करते हैं.