आइये मिलकर सोचते है। हो सकता है आपके दिमाग की बत्ती जल जाए सबसे पहले सरकार द्वारा जीरो बैलेंस और सरल कागजी कार्यवाही में जनधन बैंक अकाउंट खुलवाने की मुहिम चलाई जाती है।
इस योजना के प्रसार में इतनी रूचि ली गयी की बैंक खुद गली नुक्कड़ पे बैठकर थोक के भाव खाते खोल रही थी,उसी दौरान टेलीकॉम कम्पनिया सभी तरह की संचार सेवाओं के शुल्क 200% तक बढ़ा देती है जिसे सरकार का मूक समर्थन होता है।
ऐसे में देश की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट कम्पनी "रिलाइंस"( वाई फाई के टावर ) खड़े कर रही होती है और मुफ्त वाई फाई सेवा भी प्रदान कर देती है।
सितम्बर 2016 में अचानक (रिलाइंस समूह) 21 बिलियन डॉलर यानि 1407 अरब रुपये के निवेश से पनपे जियो प्रोजेक्ट को सभी तरह की दरों से दिसम्बर तक के लिए मुफ्त कर देता है।
रिलाइंस इंडस्ट्री ये नही बताती की वो इससे मुनाफा कैसे कमाएगी..
ये सवाल अब तक सवाल ही है। देशभर के करोड़ो मोबाइल उपभोक्ता जियो की सिम लेने के लिए कतार में लग जाते है। सिम लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य को दिया जाता है।
हाल फिलहाल देश में 15 करोड़ ब्रॉडबैंड उपभोक्ता है और रिलाइंस का टारगेट 10 करोड़ ग्राहक कवर करने का है।
टेलिकॉम रेगुलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Trai) के अंतर्गत ऐसा (कोई नियम नही है) जिसमे उपभोक्ता को सिम प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड देना अनिवार्य हो।
सिम प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड या कोई भी वेध दस्तावेज दिया जा सकता है। रिलाइंस ने सिर्फ आधार कार्ड अनिवार्य किया और फिंगर बॉयोमेट्रिक मशीन पे उपभोक्ता का अंगूठा ले लिया।
अब उपभोक्ता को नही पता किस डीड पे उसने अंगूठा लगाया है। इस योजना को लेकर प्रश्न बहुत थे और मुफ्त मिल रही चीज़ लेने की होड़ भी बहुत थी। सितम्बर माह में ही उर्जित पटेल जो की रिलाइंस के पूर्व सलाहकार रह चुके है उन्हें गवर्नर नियुक्त किया जाता है।
नवम्बर में मोदी जी अचानक ( विमुद्रिकरण की घोषणा ) राष्ट्र को संबोधित कर देते हैं.
अब सिक्के का दूसरा पहलु..
वित्त मंत्रालय के अनुसार देश में कुल काले धन का 6% केश के रूप में है। 94% कालाधन अन्य तरीकों से दबाया गया है। इस 6% केश में से सिर्फ 15% निकलने की संभावना है बाकी बचा 85% किसी ना किसी तरीके से शुद्ध कर दिया जाएगा। जो 15% काला धन उजागर होगा वो एक बड़ा विज्ञापन बनेगा सरकार की सफलता का.
2011 में 648 लोगो की लिस्ट आयी थी जिनका स्विस बैंक में कालाधन था.. उनपे कार्यवाही करना तो दूर उनकी लिस्ट तक "कांग्रेस भाजपा" सार्वजनिक नही कर पाई।
ये कितने पहुँच वाले लोग होंगे और इनके कितने प्रगाढ़ सम्बंध होंगे सरकार और विपक्ष से इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि पूर्व और वर्तमान सरकार इन्ही 648 लोगो की जेब में है।
इन लोगो ने कुछ तो योजना बनाई होगी स्विस बैंक का खजाना सफेद करने की.. आज एक मामूली व्यापारी, जुआरी,सटोरिया, मिलावटखोर भी अपनी अघोषित जमा पूंजी सफेद करने की भरकस कोशिस कर रहा है तो जाहिर है इन्होंने भी भरकस प्रयास किये होंगे।
इन्ही भरकस प्रयासों का हिस्सा है ये::"विमुद्रिकरण" की योजना..
स्विस का पैसा कब का भारत आ गया होगा..
एक व्यक्ति जिसका बैंक में खाता हो या ना हो उसे 4000 रु एक दिन में किसी भी बैंक से बदलवाने की अनुमति है।
कुछ दिन से सोशल मिडिया पे एक जनहित मैसेज भी चल रहा है कि【 बैंक में दी जाने वाली अपने आधारकार्ड फोटोकॉपी पे बदली जाने वाली पूंजी और तारीख जरूर डाले 】
ताकि आपके दस्तावेज से कोई अन्य व्यक्ति अपनी पूंजी ना बदलवा ले हो सकता है यही हो विमुद्रिकरण कि योजना की आप { आधार नम्बर और अंगूठा तो रिलाइंस को सिम के बदले में दे चुके..}
अब वे करोड़ो लोगो के स्कैन किये आधार और अंगूठे को उन (648 लोगो में बाँट कर ) अपनी निवेश की लागत वसूल करेंगे
और उसी 1407 अरब निवेश को ( दिसम्बर अथवा मार्च तक फ्री देने) के बाद शुद्ध एक नम्बर कमाई में बदल लेंगे।
सिम के बदले दिये गये आपके आधार से प्रति व्यक्ति ढाई लाख से कम मुद्रा सफेद पैसे में बदल दी जाएगी...
करोड़ो लोगो को कभी खबर नही लगेगी की उनके आधार नम्बर का इतना बेहतरीन इस्तेमाल हुआ है।ये वही करोड़ो लोग हे जिन्हें अपना खुद का बैंक स्टेटमेंट निकालने में 4 दिन लग जाते है तो आधार कार्ड से हुए मुद्रा विनिमय* की तो कभी ( जिंदगी में खबर नही लगेगी..।)
अपने 5 साल पूरे होने से पहले ( सरकार ) इन 648 लोगो की लिस्ट घोषित करके हरिशचंद्र बन जाएगी। और कोर्ट इन्हें आरोप से बाइज़्ज़त बरी कर देगा क्योकि तब तक स्विस के उन खातों में कुछ बचा ही नही होगा। इन 648 लोगो के अलावा जिनके खाते स्विस में हे( सरकार इन्हें दबोच कर 56" की हो जाएगी। ) छोटे मोटे सटोरिये रिश्र्वतखोर, व्यापारी, जमाखोर, चोर डाकू और तमाम देश विदेश के दो नम्बरिए बर्बाद हो जाएंगे.. उनकी बर्बादी से राजकोष में चार चांद लग जाएंगे।
(विपक्ष के रूप में कांग्रेस) इतनी कमज़ोर क्यों है इसका कारण यही है कि विपक्ष स्विस बैंक खाता धारियों की जेब में है और खुद कांग्रेस भाजपा के नेता भी इन 648 में शामिल है।
पं.एल.के.शर्मा