11/03/2016

मदर टेरेसा को तो जानते हो, इंडिया के 'फादर टेरेसा' के बारे में पता है?

5 सितम्बर 2016 को मदर टेरेसा को संत की उपाधि मिल गई. संत टेरेसा ने इंडिया के लिए क्या किया, कितना किया. सिर्फ अपने स्वार्थ  और लोगों का धर्म बदलवाने के लिए किया. या वाकई सच्चे दिल से लोगों की सेवा की. इस मुद्दे पर हर किसी की अपनी-अपनी राय हो सकती है. लेकिन ‘मदर टेरेसा’ सिर्फ एक नाम नहीं है. खुद एक उपाधि बन चुका है. पाकिस्तान के अब्दुल सत्तार एधी को पाकिस्तानी ‘फादर टेरेसा’ कहा जाता था. क्योंकि वो भी लोगों की बिना किसी स्वार्थ के सेवा करते थे. इंडिया में भी एक ऐसा आदमी था. जो उम्र के 104 साल तक बेसहारा लोगों के लिए चंदा इकठ्ठा करता रहा. जब मरा तो पूरे राज्य ने मातम मनाया था.

राम लाल भल्ला लाहौरवाले. बंटवारे के बाद हिंदुस्तान आ गए थे. तब से अपनी पत्नी के साथ अमृतसर में ही रहते थे. पंजाब में 84 के दंगों में बहुत लोग मारे गए थे. मरे हुए लोगों के रिश्तेदारों, खासकर औरतों की हालत बहुत खराब थी. पंजाब में आतंकवाद भी बहुत बढ़ रहा था. राम लाल भल्ला फ्रीडम फाइटर थे. सन 86 से राम लाल ने पैसे इकट्ठे करने शुरू किए. उन औरतों और बच्चियों के लिए, जिनके पास रोज़ के खाने के लिए भी पैसे नहीं थे.

जब राम लाल गलियों से गुज़रते थे. चिल्लाते थे. दान मांग रिहा है राम लाल भल्ला लाहौरवाला विधवा औरतां ते बसहारा बच्चियों दे लाई. (राम लाल भल्ला लाहौरवाला दान विधवा औरतों और बेसहारा बच्चियों के लिए दान मांग रहा है)
उनकी आवाज़ सुनकर दुकानदार और लोग उनके पास इकट्ठे हो जाते थे. उनको पैसे देते थे. दया से नहीं. इज्ज़त से. हर बार पैसे मिलने पर राम लाल कहते थे ‘शुक्रिया, दाता.’
अपनी शुरुआती पेंशन के दो हिस्से भी उन्होंने इसी के लिए दे दिए थे. अपने पास केवल उतने ही पैसे रखते जितना उनके रोज के खर्चे के लिए जरूरी होता. लोगों को उन पर इतना भरोसा था कि वो ज्यादा से ज्यादा पैसे देते थे. पता था कि ये पैसे ज़रूरतमंद के पास तक पहुंचेंगे ज़रूर. लेकिन ये सब इतना आसान नहीं था. आतंकवादियों ने राम लाल को धमकियां दी थीं. 87 में तो उनको उठा भी ले गए थे. इतना पीटा था कि उन्हें बाएं कान से सुनाई देना बंद हो गया था. जब पूछा गया कि वो ये सब कब तक करते रहेंगे. उन्होंने कहा था मरते दम तक.

21 जून 1999 में उनकी डेथ हो गई. अमृतसर में. उस वक़्त उनकी उम्र 104 साल थी. मरने के कुछ ही दिन पहले तक वो घूम-घूम कर चंदा इकठ्ठा करते रहे थे. उन्होंने टोटल 25 लाख रुपए इकट्ठे किये थे. पूरा पंजाब उनकी मौत का ग़म मना रहा था. पंजाब के उस वक़्त के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी ‘फादर टेरेसा’ की मौत पर दुःख जताया था. और वो औरतें और बच्चियां राम लाल भल्ला को बहुत सारा शुक्रिया दे रही थीं, जिनको उन्होंने जिंदगी जीने का नया तरीका दिया था.