6/12/2016

जानें स्त्रीधन और दहेज का फर्क

जानें स्त्रीधन और दहेज का फर्क

 सुप्रीम कोर्ट ने हाल में दहेज मामलों को लेकर अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पति के परिजनों को सिर्फ इस आधार पर दहेज केस में शामिल नहीं कर लेना चाहिए कि शिकायती ने उनका नाम लिया है या एफआईआर में उनका नाम है। दहेज मामले में कानून क्या है और किस तरह की कार्रवाई का प्रावधान है। दहेज कानून के तहत किसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है? दहेज लेना और देना, दोनों ही जुर्म है। 1961 में दहेज निरोधक कानून बनाया गया। 1983 में आईपीसी की धारा-498 ए बनाई गई, जिसके तहत दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करने पर पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। क्या दहेज देना भी जुर्म है? दहेज निरोधक कानून में दहेज लेना और देना, दोनों को जुर्म माना गया है। दहेज निरोधक कानून की धारा-8 कहती है कि दहेज देना और लेना, दोनों संज्ञेय अपराध हैं। दहेज लेने और देने के मामले में धारा-3 के तहत मामला दर्ज हो सकता है और इस धारा के तहत जुर्म साबित होने पर कम से कम 5 साल कैद की सजा का प्रावधान है। क्या लड़की वालों पर दहेज देने का केस दर्ज हो सकता है? दहेज प्रताड़ना के मामलों में अक्सर शिकायती बयान देते हैं कि लड़के वालों की मांग पूरी करने के लिए शादी में उनकी तरफ से इतना दहेज दिया गया, शादी के लिए इतना खर्च किया गया आदि। सुप्रीम कोर्ट के क्रिमिनल लॉयर डी. बी. गोस्वामी का कहना है कि पुलिस को ऐसे मामलों की छानबीन के दौरान काफी सजग रहने की जरूरत है। अगर रेकॉर्ड में दहेज देने की बात हो तो लड़की पक्ष पर कार्रवाई हो सकती है। दहेज की मांग करने पर क्या कार्रवाई हो सकती है? धारा-4 के मुताबिक दहेज की मांग करना जुर्म है। शादी से पहले अगर वर पक्ष दहेज की मांग करता है, तब भी इस धारा के तहत केस दर्ज हो सकता है। केस साबित होने पर 2 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है। दहेज प्रताड़ना के साथ क्या दूसरी धाराएं भी लगाई जा सकती हैं? 1983 में धारा-498 ए (दहेज प्रताड़ना) और 1986 में धारा-304 बी (दहेज हत्या) का प्रावधान किया गया। शादी के 7 साल के दौरान अगर पत्नी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो जाए और उससे पहले दहेज के लिए उसे प्रताडि़त किया गया हो तो दहेज प्रताड़ना के साथ-साथ दहेज हत्या का भी केस बनता है। इसके अलावा दहेज प्रताड़ना की शिकायत पर पुलिस 498 ए के साथ-साथ धारा-406 (अमानत में खयानत) का भी केस दर्ज करती है। लड़की का स्त्रीधन अगर उसके ससुरालियों ने अपने पास रख लिया है तो अमानत में खयानत का मामला बनता है। स्त्रीधन क्या है और दहेज किसे कहते हैं? शादी के वक्त जो उपहार और जेवर लड़की को दिए गए हों, वे स्त्रीधन कहलाते हैं। इसके अलावा लड़के और लड़की, दोनों को कॉमन यूज के लिए भी जो फर्नीचर, टीवी या दूसरी चीजें दी जाती हैं, वे भी स्त्रीधन के दायरे में रखी जाती हैं। स्त्रीधन पर लड़की का पूरा अधिकार है और इसे दहेज नहीं माना जाता। वहीं शादी के वक्त लड़के को दिए जाने वाले जेवर, कपड़े, गाड़ी, कैश आदि दहेज कहलाता है।

खरी खरी

खरी खरी :- बात कड़वी है पर सच है कि सुषमा स्वराज ईरान जाकर हिजाब पहने या बुरका , ईरान ने भारत को मुफ्त में तेल ढुलाई बंद कर दी है और तेल का मूल्य रूपये की जगह यूरो में लेने का निर्णय कर दिया है । प्रधानमंत्री जी चाहे शी जिनपिंग को साबरमती के तट पर झूला झुलाएँ या चीन जाकर टेराकोटा की मुर्तियों में उंगली करें , चीन ने यूएन में मसूद अजहर के समर्थन में अपना वीटो लगा दिया । बराक बराक करते रहिए , चाहे रेडियो पर मन की बात उन्हीं बराक से मोदी जी कराते रहें , परिणाम यह है कि अमेरिका ने भारत की गंभीर आपत्तियों के बाद भी भारत को घुड़की देते हूए पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देने का सौदा कर दिया , हजारों करोड़ डालर की मदद कर दी । जापान में आप लाख नगाड़ा बजाओ वह बिना अमेरिका की इच्छा के कुछ नहीं करने वाला , ना क्योटो बनाएगा ना हजारों करोड़ निवेश करने वाला है। फ्रांस के राष्ट्रपति को घुमाओ फिराओ और फिर पेरिस जाकर चाहे जितनी लफ्फाजी कर लो राफेल का सौदा उसने पिछली यूपीए सरकार से मंहगे दाम में भारत से किया । नेपाल को 20 हजार करोड़ दो चाहे चंदन की लकड़ी लुटाओ , पिद्दी सा "जी शाब जी" कहने वाले देश ने अपनी अकड़ पहली बार दिखा दी और चीन का हो गया। सऊदी अरब में जाकर सम्मान लो या इस्लाम के कसीदे पढ़ो पाकिस्तान उसकी कमजोर नस है और वह रहेगा । पाकिस्तान का उदाहरण नहीं दूँगा क्युँकि कुछ लोगों को मिर्च तगड़ी लग जाएगी नहीं तो साड़ी शाल आम और केक का उदाहरण सामने है और उसका परिणाम पठानकोट भी सामने है। कहने का अर्थ है कि विदेश नीति लल्लो चप्पो से नहीं चलती और ना ही पूरी दुनिया गुजरात है कि किसी को एक मैसज कर दिया तो नैनो की फैक्टरी लग गयी। दो वर्ष होने को हैं अक्ल अब तो आ जानी चाहिए । देश जब मजबूत होता है तब विदेशी झुकते हैं विदेशी राष्ट्र दबते हैं ।