6/11/2016
मानसून आ गया रे
बेसन-चायपत्ती खरीद लो, झमाझम बारिश होने वाली है ...
बारिश का इंतजार सबको है. फसल बारिश के चलते खराब हो जाती थी. हमें भी झमाझम बारिश में भीगे कितने दिन हुए. पिछले दो साल ऐसे सूखे निकले कि दिल टूट गया. इस साल कहा जा रहा है कि जबरदस्त बारिश होने वाली है. पर मानसून इस बार भी लेट हो गया है. इंडिया में बारिश होती कैसे है, ढूंढ के लाये हैं. लो पढ़ लो-
मानसून को 1 जून को केरल आना होता है. पर पिछले कुछ सालों से मानसून हमेशा लेट रहा है. अमूमन मानसून 1 जून तक केरल के तट पर आ जाता है. पर इस बार भी मानसून थोड़ा लेट है. 7 जून को आएगा. 30 मई को अंडमान निकोबार पहुंचने के बाद से मानसून अभी वहीं अटका हुआ है.
इस बार मौसम विभाग कि भविष्यवाणी के बाद से शोर बहुत मचा है कि बारिश बढ़िया होगी. लोग खुश हैं. औसत से ज्यादा बारिश होगी. जून से सितम्बर, चार महीने को बारिश का मौसम माना जाता है. मौसम विभाग का 2016 के लिए अनुमान ये है कि भारत में औसत से छः फीसदी ज़्यादा बारिश होगी. पिछले साल के मुकाबले ये 20 फीसदी ज्यादा है. इस बार जब पानी बरसेगा तो पनारा जाम हो जाएगा. सींक वाली झाडू कस लो. और हो जाओ तैयार.
खुश हो जाइये क्योंकि सब सही चल रहा है. दक्षिणी अमेरिका से चलकर मानसून जब भारत आता है. तो रस्ते में ऑस्ट्रेलिया पड़ता है. ऑस्ट्रेलियाई मौसम विभाग के हिसाब से ऑस्ट्रेलिया में सब ठीक-ठाक है. इस लिहाज़ से भारत में भी सब ठीक-ठाक होगा. उनका कहना है कि गॉडजिला एल नीनो का वक्त खत्म होने की कगार पर है. गॉडजिला एल नीनो ही पिछले दो साल से हो रही खराब बारिश का कारण था.
इसके लिए पहले ये बताना होगा कि एल नीनो होता क्या है. प्रशांत महासागर में भूमध्यरेखा के आस-पास के रीजन में कई बार समुद्र का टेम्परेचर अजीबोगरीब ढंग से बढ़ जाता है. ये ज़्यादातर पेरू और इक्वेडोर के तट के आस पास होता है. समुद्र कि सतह गर्म हो जाती है. और वहां कम प्रेशर का रीजन बन जाता है. जिसकी वजह से वहां पर तूफानों का आना और बादलों का बनना शुरू हो जाता है. इस तरह से एल नीनो की वजह से दुनिया भर के मौसम में बदलाव होते हैं. और साथ ही ये एल नीनो भारत के मानसून को कमजोर कर देता है. तो कहने का मतलब ये कि जब अगली बार बदली छाये तो समझ लेना कि पेरू में सब ठीक है.
इस बार का ये एल नीनो बहुत गजब टाइप से काम कर रहा था. ऐसा कि लग रहा था जैसे कुछ कम ही नहीं होगा. इसीलिए इसको नाम दिया गॉडज़िला. एकदम गॉडज़िला कि फ़िल्म में आए भयानक डायनासोर जैसे शैतान जैसा. जो कब क्या तहस नहस कर दे मालूम नहीं. जिसको रोकना किसी के बस कि नहीं.
पिछले 15 दिनों में समुद्र के सर्फेस का तापमान पेरू और ईक्वेडोर के इन हिस्सों में कम हुआ है. समुद्र के निचले हिस्से के ठंडे पानी से भी मदद मिल रही है. ऑस्ट्रेलिया के मौसम विभाग के हिसाब से इस साल दोबारा समुद्र के सर्फेस के गर्म होने की कम ही उम्मीद है. जिसके हिसाब से कहा जा सकता है कि इस साल का एल नीनो अब खात्मे पर है. हालांकि एक और अमेरिकी एजेंसी को छोड़ दूसरी किसी मौसम एजेंसी ने अभी इसकी घोषणा नहीं की है. पहले ये कहा जा रहा था कि गर्मियों के अंत तक एल नीनो कमजोर होगा. अमेरिका की नोआ (NOAA) नाम की एजेंसी ने भी कहा है कि एल नीनो कमजोर हो रहा है.
जैसे राम का उल्टा लखन. जैसे दिन का उल्टा रात. जैसे आग का उल्टा पानी. वैसे एल नीनो का उल्टा ला नीना. और जब एल नीनो कमजोर पड़ेगा तो बनेगा ला नीना.
2016 की गर्मियों का मौसम ला नीना के बनने के लिए एकदम परफेक्ट है. ऑस्ट्रेलियन न्यूज एजेंसी ने भी कहा है कि ला नीना की संभावनाएं बन रही हैं. दुनिया भर के मौसम के हिसाब से भूमध्यरेखा के पास का प्रशांत महासागर अब ठंडा ही होता जायेगा. जून से अगस्त के बीच ला नीना के डेवलप होने के चांसेस को लेकर 8 मॉडल बनाए गए. ला नीना के डेवलप होने के 8 मॉडल में से 6 मॉडल के हिसाब से इस बार ला नीना के बनने के पक्के-पोढ़े चांसेस हैं.
IOD माने I ndian Ocean Dipole . हिन्द महासागर डाईपोल एल नीनो की तरह से ही एक लोकल फैक्टर है. इस बार वो भी एकदम सही जा रहा है. कहने का मतलब ये कि इसको पश्चिम में ठंडा और पूर्व में गरम होना चाहिए. ऐसा हो भी रहा है.
तो इस पूरे शास्त्रार्थ का रस ये निकलता है कि बेसन खरीद लिया जाए. आलू और बैंगन का स्टॉक भर लिया जाए. गैस सिलिंडर भरवा लिया जाए. पौव्वा भर अदरक हर टाइम किचन में रहे. जब भी बरसे, दोस्तों को बुलाएं और पकौड़े बनें. थोड़ा पेरू को याद कर लें. मन करे तो मन ही मन थैंक यू भी कह दें.
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