6/12/2016

खरी खरी

खरी खरी :- बात कड़वी है पर सच है कि सुषमा स्वराज ईरान जाकर हिजाब पहने या बुरका , ईरान ने भारत को मुफ्त में तेल ढुलाई बंद कर दी है और तेल का मूल्य रूपये की जगह यूरो में लेने का निर्णय कर दिया है । प्रधानमंत्री जी चाहे शी जिनपिंग को साबरमती के तट पर झूला झुलाएँ या चीन जाकर टेराकोटा की मुर्तियों में उंगली करें , चीन ने यूएन में मसूद अजहर के समर्थन में अपना वीटो लगा दिया । बराक बराक करते रहिए , चाहे रेडियो पर मन की बात उन्हीं बराक से मोदी जी कराते रहें , परिणाम यह है कि अमेरिका ने भारत की गंभीर आपत्तियों के बाद भी भारत को घुड़की देते हूए पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देने का सौदा कर दिया , हजारों करोड़ डालर की मदद कर दी । जापान में आप लाख नगाड़ा बजाओ वह बिना अमेरिका की इच्छा के कुछ नहीं करने वाला , ना क्योटो बनाएगा ना हजारों करोड़ निवेश करने वाला है। फ्रांस के राष्ट्रपति को घुमाओ फिराओ और फिर पेरिस जाकर चाहे जितनी लफ्फाजी कर लो राफेल का सौदा उसने पिछली यूपीए सरकार से मंहगे दाम में भारत से किया । नेपाल को 20 हजार करोड़ दो चाहे चंदन की लकड़ी लुटाओ , पिद्दी सा "जी शाब जी" कहने वाले देश ने अपनी अकड़ पहली बार दिखा दी और चीन का हो गया। सऊदी अरब में जाकर सम्मान लो या इस्लाम के कसीदे पढ़ो पाकिस्तान उसकी कमजोर नस है और वह रहेगा । पाकिस्तान का उदाहरण नहीं दूँगा क्युँकि कुछ लोगों को मिर्च तगड़ी लग जाएगी नहीं तो साड़ी शाल आम और केक का उदाहरण सामने है और उसका परिणाम पठानकोट भी सामने है। कहने का अर्थ है कि विदेश नीति लल्लो चप्पो से नहीं चलती और ना ही पूरी दुनिया गुजरात है कि किसी को एक मैसज कर दिया तो नैनो की फैक्टरी लग गयी। दो वर्ष होने को हैं अक्ल अब तो आ जानी चाहिए । देश जब मजबूत होता है तब विदेशी झुकते हैं विदेशी राष्ट्र दबते हैं ।

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