शुक्रवार को यूनाइटेड नेशंस ने कॉमिक्स कैरेक्टर ‘वंडर वुमन’ को औरतों के सशक्तिकरण का एंबेसडर बनाया है. ये मौका था यूनाइटेड नेशंस के लगभग साल भर के सोशल मीडिया कैंपेन शुरू होने का. जिसमें औरतों के सशक्तिकरण और जेंडर इक्वैलिटी को प्रमोट किया जायेगा.
शुक्रवार को वंडर वुमन का 75वां बर्थडे था. 1941 में पहली बार इनका कॉमिक्स आया था. इनको ‘प्रिंसेस ऑफ थर्मिस्काइरा’ भी कहा जाता है.
पर ये कोई इमोशनल करने वाला मौका नहीं था. यूनाइटेड नेशंस के ही 1000 लोगों ने तुरंत ऑनलाइन पेटीशन दिया कि वंडर वुमन इस काम के लिये उपयुक्त चॉइस नहीं है. कहा गया कि,
‘बड़े-बड़े स्तनों वाली एक व्हाइट लड़की, जिसने छोटे कपड़े पहने हुये हैं. जिसके शरीर के अंग इस कदर हैं जो रियल लाइफ में हो नहीं सकते. थाई दिखाते हुये बूट पहने हुये ये लड़की पिन-अप गर्ल है. जो मर्दों के मन की उपज है.’
जिन लोगों ने साइन किया, उन्होंने कहा कि यूएन से ये उम्मीद नहीं थी. ये लोग एक रियल लाइफ लड़की नहीं खोज पाये. और ये बात करते हैं वुमन इम्पावरमेंट और जेंडर इक्वलिटी की.
वंडर वुमन पर फिल्म भी आ रही है 2017 में. इसमें इजराइली एक्ट्रेस गेल गडोट वंडर वुमन बनी हैं. 1941 में इस कैरेक्टर को एक साइकॉलॉजिस्ट विलियम मार्सटन ने बनाया था. इस कैरेक्टर ने को फेमिनिस्ट आइकन भी माना जाता है.
यूनाइटेड नेशंस का जवाब था,
‘हमने इसका फेमिनिस्ट बैकग्राउंड देखा. पहली औरत जो सुपरहीरो बनी. जिस दुनिया में सिर्फ मर्द सुपरहीरो हुआ करते थे. इस लड़की ने हमेशा ही फेयरनेस, जस्टिस और पीस के लिये लड़ाई की है.’
लेकिन यूनाइटेड नेशंस का जवाब बड़ा ही बचकाना है. क्योंकि अभी पुर्तगाल के एंटोनियो गटरेस को यूएन का अगला सेक्रेटरी जनरल चुना गया है. जबकि पूरी दुनिया में ये मांग चल रही थी कि एक औरत को चुना जाये. ये भी पता चला है कि यूएन के टॉप 10 पोस्ट में से 9 मर्दों को ही जाते हैं. ऐसा नहीं था कि टॉप पोस्ट के लिये औरतों की कमी थी. इसमें न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री, यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल और यूरोपियन यूनियन की एक अधिकारी भी हैं. इनके अलावा खोजा जाए तो दुनिया में इस पोस्ट के लिये औरतों की कमी नहीं है. कितनी औरतें तो ऐसी हैं जो शांति के लिये नोबल जीत चुकी हैं. दूसरे देशों में जाकर लोगों के लिये काम कर रही हैं. बाकी पोस्टों के लिये भी तो औरतें चुनी जा सकती हैं.
सबसे मजेदार बात है कि वंडर वुमन 1941 में जन्मी थी और यूएन 1945 में. और वंडर वुमन को लड़कियों के इम्पॉवरमेंट के लिये चुना गया है. कॉमिक्स में वंडर वुमन एक बार अमेरिकी प्रेसिडेंट के लिये लड़ी भी थी और हार गई थी. वहां भी नहीं जिता पाये.
मतलब वुमन इम्पॉवरमेंट सिर्फ कल्पना में हो रहा है. असल जिंदगी में पावर शेयर नहीं किया जायेगा. जब भी औरत को दिखाना हो तो उसी तरह दिखाइये जैसा लोग कल्पना में औरतों को देखते हैं. एकदम अकल्पनीय फिगर. जो मर्दों के तन-मन को सुख पहुंचाये. जो औरत लड़-झगड़ के अपना मुकाम बना रही है, वो एम्बेसडर बनने लायक भी नहीं है.
सेक्रेटरी जनरल और प्रेसिडेंट तो दूर की बात है. हिलेरी क्लिंटन जब से चुनाव लड़ रही हैं तब से डॉनल्ड ट्रंप उन के चरित्र पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं. जबकि उनके खुद के बारे में तरह-तरह की चीजें सामने आ रही हैं. यूएन का ये फैसला अंतत: मर्दवादी सोच का ही नतीजा है, जिसमें एम्पावर्ड औरत वह है जिसके स्तन बड़े हैं और जिसे देखकर कामुक हुआ जा सकता है. अगर वो प्रेसिडेंट का चुनाव कॉमिक्स में भी लड़े तो जीतने नहीं देना है.
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