जलालुद्दीन मोहम्मद रूमी. गालिब से पहले का भी एक शाइर. 13वीं शताब्दी में तजाकिस्तान में पैदा हुए रूमी, फारसी सूफिज़्म के उन नामों में से हैं, जिन्हें पूरी दुनिया में पढ़ा और सराहा जाता है. रूमी का ज़्यादातर लेखन फारसी में है, मगर उन्होंने अरबी, तुर्की और ग्रीक में भी काम किया है.
अगर 13वीं शताब्दी से अब तक देखा जाए तो रूमी दुनिया के बेस्टसेलर कवि हैं. उनकी लिखी लंबी कविता मसनवी में कुल 50हज़ार लाइने हैं और इसे लिखने के लिए 6 किताबें चाहिए होती हैं. कई विद्वान रूमी की कविताओं को इरॉटिज़्म और डिवोशन का मिश्रण मानते हैं. 17 दिसम्बर को दुनिया से गए रूमी की मज़ार पर आज भी उनकी हर बरसी पर लोग जमा होते हैं. अभी हाल ही में रूमी के ऊपर बनने वाली फिल्म को लेकर विवाद उठा था क्योंकि रूमी के किरदार में एक श्वेत अमेरीकी, लिओनार्डो डि कैप्रियो को कास्ट करने की बातें हुई थी.
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