राजनीतिक पार्टियों का क्या है, उन्हें तो बस वोट लेना है, अब वो वोट चाहे समाज को बाँट कर मिले या इंसान को काट कर l समाज में दलित और सवर्ण की राजनीती करने वाले नेताओं को ये सच्चाई शायद समझ ना में आये, लेकिन सवर्ण और दलित के सदभाव और सहयोग की भावना का बेजोड़ उदाहारण है, महाराज सयाजी के मदद की कहानी l जिन सवर्णों के खिलाफ बाबा साहब के नाम का इस्तेमाल किया जाता है, उन्हीं भारत रत्न अम्बेडकर को उनके एक ब्राह्मण शिक्षक महादेव अम्बेडकर ने सामाजिक रूप से भेदभाव होने के कारण अपने नाम के आगे “अम्बेडकर” जोड़ने को कहा था l आज आज़ादी के इतने साल हो गये है, लेकिन ये सामाजिक भेदभाव और दलित-सवर्ण की राजनीती खत्म होने का नाम ही नही ले रही lऐसा कौन होगा जो बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर को नही जानता होगा, जिन्होंने हमारे देश के संविधान को एक बेहतरीन रूप दिया l अम्बेडकर साहब ने तो संविधान को किसी विशेष धर्म या जाति के लिए नही बनाया था, लेकिन आज का परिवेश ऐसा हो गया है, कि अम्बेडकर को राजनीती के तहत जाति विशेष से जोड़ कर देखा जाता है l कुछ राजनैतिक पार्टियाँ तो उन्हें दलित बताकर चुनाव में वोट हड़पने की घटिया राजनीती भी करती हैं l राजनीती भी ऐसी कि बाबा साहब पर सिर्फ और सिर्फ अपना अधिकार समझती हैं l हद तो तब हो जाती है, जब यही राजनीतिक पार्टियाँ भाषण देकर समाज में दलितों को सवर्णों के खिलाफ भड़काती हैं l जिसको आप “तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार” जैसे नारों से समझ सकते हैं, लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि आखिर वो कौन थे, जिन्होंने, दलितों के आदर्श माने जाने वाले भीमराव को बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर बनाया l
आपने नेताओं से भाषण के दौरान भीमराव अम्बेडकर का नाम अक्सर सुना होगा, लेकिन जिन्होंने अम्बेडकर को आर्थिक सहायता की, जिससे भीमराव विदेशों में जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सके, उनका नाम कभी नही सुना होगा l जिनकी वजह से अम्बेडकर ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर पाये उनका नाम कोई नही लेता l अब इसे दलितों की राजनीति का हिस्सा समझ लीजिये, या फिर कुछ और लेकिन किसी नेता ने कभी नही बताया कि आखिर कौन था वो, जिसने अम्बेडकर को आर्थिक मदद कर उनकी पढ़ाई पूरी करवाई, और इस लायक बनाया कि देश का संविधान बनाने में देश की मदद कर सके l तो चलिए हम आपको बताते हैं, कि क्या है पूरी कहानी l
बड़ोदरा रियासत के महाराजा सयाजी गायकवाड़ जी को एक बार एक दलित युवक ने चिट्ठी लिखी, और पढ़ाई के लिए ब्रिटेन और अमेरिका जाने के लिए आर्थिक मदद लिए निवेदन किया l चिट्ठी के साथ उसने अपनी मार्कशीट भी लगाकर भेजी थी l पत्र के बाद महाराज ने उस युवक को बुलाने का आदेश दिया, और जब युवक महाराज के सामने आया तो राजा ने उसकी प्रशंसा करते हुए कहा, कि ‘पढने में अच्छे हो’, उसके बाद महाराजा ने उसे पूरा खर्च दिया, और पढने के लिए भेज दिया l इतना ही नहीं उन्होंने उसके रहने का इन्तजाम भी करवा दिया l
राजनीतिक पार्टियों का क्या है, उन्हें तो बस वोट लेना है, अब वो वोट चाहे समाज को बाँट कर मिले या इंसान को काट कर l समाज में दलित और सवर्ण की राजनीती करने वाले नेताओं को ये सच्चाई शायद समझ ना में आये, लेकिन सवर्ण और दलित के सदभाव और सहयोग की भावना का बेजोड़ उदाहारण है, महाराज सयाजी के मदद की कहानी l जिन सवर्णों के खिलाफ बाबा साहब के नाम का इस्तेमाल किया जाता है, उन्हीं भारत रत्न अम्बेडकर को उनके एक ब्राह्मण शिक्षक महादेव अम्बेडकर ने सामाजिक रूप से भेदभाव होने के कारण अपने नाम के आगे “अम्बेडकर” जोड़ने को कहा था l आज आज़ादी के इतने साल हो गये है, लेकिन ये सामाजिक भेदभाव और दलित-सवर्ण की राजनीती खत्म होने का नाम ही नही ले रही l
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