मैसूर. नोटबंदी की घोषणा भले ही अचानक से हुई हो मगर नए नोट छह माह से छापे जा रहे थे। इसमें एक चार्टर्ड ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्लेन मैसूर स्थित सरकारी प्रेस से नए नोट लेकर उड़ान भरता था। पैसों को दिल्ली स्थित रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुख्यालय पहुंचाया जाता था। देशभर में पैसा इसी प्लेन ने पहुंचाया।
दिलचस्प यह है कि सरकार आरबीआई और मैसूर एयरपोर्ट को छोड़ किसी को भी इसकी भनक तक लगी। प्लेन की उड़ान से जुड़ी जानकारी चुनिंदा लोगों को थी। प्लेन छह माह से मैसूर हवाईहड्डे से कड़ी सुरक्षा में उड़ान भर रहा था। इस चार्टर्ड की उड़ानें बेंगलुरु समेत कई बड़े शहरों के लिए थीं। खासतौर पर वे शहर जहां आरबीआई की शाखाएं हैं। उधर, आरबीआई की शाखाएं भी सरकार की योजना को लागू करने के लिए खामोशी से तैयारियां कर रही थीं।
निजी कंपनी का चार्टर्ड था।
यह निजी कंपनी का चार्टर्ड था। केंद्र सरकार ने कंपनी को 73 लाख 42 हजार रुपये का भुगतान किया। यह रकम एसबीआई की एक शाखा मेंआरबीआई बेंगलुरु के एक अकाउंट से चुकाई गई। बता दें कि सरकार के ऐलान के बाद आरबीआई की शाखाओं से नई करेंसी को देश के विभिन्न बैंकों की शाखाओं में पहुंचाया गया। ऐसा करने के लिए हाई सिक्यॉरिटी वैन्स का इस्तेमाल किया गया। हर ब्रांच को उसके साइज के मुताबिक 20 लाख से लेकर दो करोड़ रुपये तक के 2 हजार के नोट दिए गए।
इस खास जगह छपे नोट
मैसूर में भारत रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड द्वारा चलाया जा रहा करंसी प्रिटिंग प्रेस एक हाई सिक्यॉरिटी जोन है। यहां नोटों की छपाई का काम छह महीने पहले शुरू हुआ था। किसी को कानो कान खबर नहीं हुई कि क्या होने जा रहा है? इस जगह के लिए अलग से रेलवे लाइन और वॉटर सप्लाई पाइपलाइन है। यह प्रेस करीब दो दशक पुराना है। इसे दुनिया के बेहतरीन करेंसी प्रिंटिंग प्रेस में शुमार किया जाता है। 1000 के पुराने नोट भी यहीं पर छपे थे। इस प्रेस के अंदर ही करेंसी पेपर तैयार करने की यूनिट है। नोटों को बनाने में इस्तेमाल होने वाला खास कागज यहीं पर तैयार होता है।
मैसूर एयरपोर्ट की भूमिका अहम
मैसूर एयरपोर्ट की बेहद अहम भूमिका रही। बीते कुछ सालों से मैसूर एयरपोर्ट उपेक्षाओं का शिकार रहा है। यहां एक सिंगल रनवे है। हालांकि, यह इकलौता रनवे पूरे देश को झकझोरने वाले नीतिगत फैसले को अमल में लाने का रास्ता बना। मंदाकली स्थित मैसूर एयरपोर्ट को काफी उम्मीदों के साथ बनाया और शुरू किया गया था। 35 हजार वर्ग फीट में फैले इस एयरपोर्ट को 82 करोड़ की लागत से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बनवाया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन सीएम बीएस येदियुरप्पा के कार्यकाल में 2010 में हुआ था।
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