चेयरमैन सायरस मिस्त्री को पद से हटाने के चलते विवाद में आए टाटा सन्स की इस समय कुल वैल्यू करीब 8 हजार करोड़ रुपए मानी जाती है। हालांकि एक दौर ऐसा भी था, जब टाटा सन्स वित्तीय परेशानी से जूझ रही थी। ग्रुप की ओर से लिए 2 करोड़ रुपए के उधार के चलते ही पलोनजी मिस्त्री फैमिली के पास टाटा के 18 फीसदी शेयर आने का रास्ता साफ हुआ था। उस जमाने मे टाटा फैमिली की ओर से लिया गया यही 2 करोड़ आज मिस्त्री फैमिली के लिए 1.4 लाख करोड़ (8 लाख करोड़ का 18 फीसदी) बन गए। हालांकि रोचक बात यह है कि टाटा फैमिली ने पलोनजी मिस्त्री के परिवार से कोई भी उधर नहींं लिया था। इसके पीछे एक इन्ट्रेस्टिंग स्टोरी है। आइए जानते हैं पूरी कहानी के बारे में...
90 साल पहले परेशानी से गुजर रही थी टाटा सन्स
बात करीब 90 साल पुरानी है, उस वक्त टाटा सन्स की माली हालत ठीक नहीं चल रही थी।
टाटा सन्स की दो कंपनियों टाटा स्टील और टाटा हाइड्रो पॉवर को पैसों की सख्त जरूरत थी।
तब ग्रुप की कमान संभालने वाले दोराबजी टाटा ने अपनी फैमिली के पुुराने दोस्त और मनी लेंडर FE दिनशा से संपर्क किया था।
दिनशा ने 1924 से 1926 के बीच टाटा फैमिली को 2 करोड़ रुपए का कर्ज दिया।इसी 2 करोड़ रुपए रुपए की बदौलत ही टाटा सन्स की दोनों कंपनियों टाटा इाइड्रो पावर और टाटा स्टील को उबारने में मदद मिली।
दो करोड़ के बदले दिनशा को मिली हिस्सेदारी
दिनशा की ओर से दिए गए पैसों से टाटा ने दोनों कंपननियों में दिनशा को हिस्सेदारी दी।
इसके तहत जहां दिनशा को टाटा स्टील में प्रॉफिट का 25 फीसदी दिया गया वहीं टाटा हाइड्रोपॉवर में प्रॉफिट का 12.5 फीसदी देने पर सहमति बनी।
हालांकि 1930 के दौर में दिनशा के इस कर्ज को टाटा सन्स की हिस्सेदारी में बदल दिया गया और वह टाटा सन्स में 12.5 फीसदी के हिस्सेदार हो गए।
जानिए कौन थे दिनशा
फ्रामरोज ईदुल्जी (FE) दिनशा के पिता कराची के सबसे बड़े लैंड लॉर्ड थे।
दिनशाा अपने दौर के बड़े वकील और सफल कारोबारी माने जाते थे।
दिनशा "FE दिनशा एंड को" नाम से अपनी फाइनेंशियल कंपनी चलाते थे।
इसी कंपनी ने टाटा फैमिली को करीब 2 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था।
उन्हें टाटा समूह का बेहद नजदीकी भी माना जाता था।
जेआरडी टाटा के मुताबिक, वह अपने जीवन में जितने भी लोगों से मिले, दिनशा उनमें सबसे बेस्ट थे।
ऐसे मिस्त्री फैमिली को मिली टाटा में हिस्सेदारी
टाटा ने अपने करीबी दिनशा को कंपनी की 12.5 फीसदी हिस्सेदारी दी थी, लेकिन यही हिस्सेदारी एक दिन मिस्त्री फैमिली के पास आ गई।
दरअसल 1936 में दिनशा की मौत हो गई, मौत के बाद दिनशा के बच्चों ने दिनशा की फाइनेंशिय कंपनी " FE दिनशा एंड को" को सायरस मिस्त्री के ग्रैंड फादर शापोरजी पलोनजी मिस्त्री को बेच दी।
इसी के साथ कंपनी की टाटा संन्स में 12.5 फीसदी की हिस्सेदारी भी मिस्त्री फैमिली के पास आ गई।
मिस्त्री फैमिली की हिस्सेदार पहुंची 18.5 फीसदी
मिस्त्री फैमिली ने दिनशा से 12.5 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी, लेकिन इस हिस्सेदारी के 18.5 फीसदी के लेवल पर पहुंचने का अपना इतिहास रहा है।
इसके मुताबिक, पलोनजी ग्रुप ने जेआरडी टाटा की दो बहनों सिला और दराब से भी हिस्सेदारी खरीदी।
1936 से 38 के बीच खरीदी गई इस हिस्सेदारी की बदौलत ही मिस्त्री फैमिली का टाटा में हिस्सा 17.5 फीसदी हो गया।
मिस्त्री फैमिली ने 1975 में कुछ शेयर और खरीदे जिसके चलते परिवार का शेयर करीब 18.5 फीसदी हो गया।
हालांकि 2003 में बाईबैक के बाद मिस्त्री फैमिली की हिस्सेदारी 18 फीसदी रह गई।
जानिए टाटा फैमिली में किसकी कितनी हिस्सेदारी
टाटा सन्स में सबसे बड़ी हिस्सेदारी मौजूदा समय में टाटा ट्रस्ट की है, 66 फीसदी शेयर के साथ वह टॉप पर है।
इसके बाद 18 फीसदी की हिस्सेदारी सायर मिस्त्री की फैमिली के पास है।
ग्रुप में 13 फीसदी की हिस्सेदारी समूह से जुड़ी फर्मो की है।
साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों के पास ग्रुप के 3 फीसदी शेयर हैं।
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