इन दिनों राजनीति से लेकर बिजनेस घरानों तक में उठापटक मची है. एक बड़ा कॉर्पोरेट ग्रुप है. टाटा संस. अमीर लोग हैं. लेकिन हैं तो इंसान ही. सो ऊंच नीच होती रहती है. ग्रुप के चेयरमैन साइरस मिस्त्री को बगैर किसी चेतावनी के चलता कर दिया गया. साइरस मिस्त्री को इस्तीफा देने का मौका भी नहीं मिला. अब उन्होंने बोर्ड के मेम्बर्स को ई-मेल किया है कि उन्हें अपना पक्ष नहीं रखने दिया गया. उन्हें इस तरह हटाया जाना अजीब है. बोर्ड में नौ लोग हैं जिनमें से 6 लोगों ने मिस्त्री के खिलाफ वोट किया. दो लोग आये ही नहीं. टाटा ने मिस्त्री के खिलाफ कई केविएट (विरोध-पत्र) भी फाइल किए हैं. मिस्त्री के ऑफिस का कहना है फिलहाल मिस्त्री कोई लीगल एक्शन नहीं लेंगे. रतन टाटा को अभी फिलहाल फिर से चेयरमैन बना दिया गया है. उनके और रतन टाटा के बीच अविश्वास वाली स्थिति आ गयी है.
टाटा वालों का पक्ष भी सामने आया है. टाटा ग्रुप के दो बड़े ट्रस्ट हैं- सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट. इकॉनॉमिक टाइम्स के मुताबिक टाटा संस में इन दोनों ट्रस्टों का शेयर 66% है. अब टाटा ग्रुप वालों का कहना है मिस्त्री ने वेल्सपन सोलर फार्म्स के अधिग्रहण को टाटा या इसके शेयरहोल्डर से बिना कंसल्ट किए क्लियर कर दिया. इसका अमांउट 1.4 बिलियन डॉलर है.
साइरस मिस्त्री पारसी समुदाय से आते हैं. मुंबई के हैं. बिलियनेयर शपूरजी पल्लोनजी मिस्त्री के बेटे हैं. साइरस की मां आयरलैंड की हैं और शादी के बाद साइरस के पापा ने आयरलैंड की नागरिकता ले ली. साइरस के पास भी आइरिश नागरिकता है और भारत के परमानेंट रेज़िडेंट हैं.
साइरस शपूरजी पल्लोनजी एंड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर, 1990 से 2009 तक टाटा एल्क्सी लिमिटेड के डायरेक्टर रहे. फिर 1 सितंबर, 2006 को टाटा संस के बोर्ड को ज्वाइन किया. इसके बाद टाटा पॉवर के डायरेक्टर का पद संभाला. 2012 में टाटा संस के डायरेक्टर बने. इसके अलावा टाटा की दूसरी कंपनियों टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा पॉवर, इंडियन होटल, टाटा केमिकल्स के भी डायरेक्टर रहे. ‘द इकनॉमिस्ट’ ने उन्हें ब्रिटेन, इंडिया और आयरलैंड का ‘मोस्ट इंप़ॉर्टेंट इंडस्ट्रियलिस्ट’ कहा था.
आइए पढ़ते हैं, क्या-क्या हुआ:
1. जब मिस्त्री को चेयरमैन बनाया गया था तब इसे टाटा ग्रुप में यूथ की जीत माना गया. तब टाटा ने मिस्त्री को एडवाइस दी थी खुद के आदमी बनो.
2. रतन टाटा और मिस्त्री के बीच खिटपिट की शुरुआत काफी पहले से हो गयी थी. दो साल पहले जब इंडियन सेंटर फॉर दी परफार्मिंग आर्ट्स में शपूरजी पलोनजी, जो साइरस के पापा थे, उनका शताब्दी वर्ष मनाया गया तो इंडिया इंक के सारे लोग वहां थे, रतन टाटा को छोड़कर. उन्हें वहां होना चाहिए था. वो थाई पवेलिन में मिस्त्री के भतीजे के साथ आराम से बैठे खाना खा रहे थे.
3. मिस्त्री के और भी कई फैसलों से ट्रस्ट वाले खुश नहीं थे. चाहे वो इंडियन होटल कंपनी की कई ओवरसीज प्रॉपर्टीज़ बेचने का फैसला हो या यूरोप के स्टील प्लांट बेचने का. रतन टाटा के करीबी बताते हैं वो इन फ़ैसलों से खुश नहीं थे.
4. मिस्त्री ने 2014 में इंडियन होटल के मैनेजिंग डायरेक्टर रेमंड बिक्सन को हटा दिया था. रेमंड बिक्सन टाटा के करीबी थे. मिस्त्री ने हयात के राकेश सरना को ये काम सौंपा. सरना के खिलाफ कई शिकायतें आयीं फिर भी उसे मिस्त्री ने नहीं हटाया.
5. टाटा मोटर्स के एक एक्जीक्यूटिव ने साइरस की शिकायत की- वो ढंग के लोगों की पहचान नहीं कर पाते. जिन लोगों को उन्होंने चुना है वो योग्य लोग नहीं हैं.
6. मिस्त्री ने अपनी एक काउंसिल बना ली थी. टाटा संस के ट्रस्टी बोले ये पैरलल बॉडी बन गयी है और कुछ खास लोगों की ही यहां चलती है. इसीलिए उनके कुछ चहेतों मधु कन्नन, एन एस राजन, निर्मल्य कुमार को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
7. ग्रुप के एक और शख्स ने कहा कि साइरस ने अभी तक अपनी आयरलैंड की नागरिकता भी नहीं छोड़ी है जो उन्हें चेयरमैन होने के नाते छोड़ देनी चाहिए थी.
सोमवार को मिस्त्री को बाहर निकालने की मीटिंग हुई. गहमागहमी रही. मिस्त्री ने खुद के पक्ष में वोट दिया. टाटा ग्रुप के एक पुराने आदमी ने बताया ये तख्तापलट पहले से तय था. अब तो बस नतीजा आया है. मोहन परासर, जिन्होंने एक महीने पहले बोर्ड को मिस्त्री को हटाने की सलाह दी, उन्होंने कहा मीटिंग से पहले रतन टाटा साइरस मिस्त्री से मिले थे लेकिन वो माने नहीं. टाटा ग्रुप की तरफ से ये भी कहा गया कि हमें बाद में पता चला कि वो काफी अक्खड़ हैं. मैच्योर नहीं हैं. 148 साल पुराने टाटा ग्रुप के मूल्यों को बर्बाद कर रहे हैं.
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